शुभ कार्य इस काल में वर्जित कहे जाते हैं, क्योंकि धनु वृहस्पति की आग्नेय राशि है, इसमें सूर्य का प्रवेश विचित्र, अप्रिय तथा अप्रत्याशित परिणाम का सबब बनता है।
सूर्य 16 दिसंबर 2020 को वृश्चिक राशि की यात्रा समाप्त कर धनु राशि में लंगर डालेंगे, इसके साथ ही खरमास की शुरुआत होगी, खरमास का समापन 15 जनवरी 2021 को होगा, पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक या शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं, इसलिये जिन लोगों को शुभ कार्य करने है, वो अब 15 जनवरी के बाद करें, ज्योतिषी के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि में आ जाते हैं, तो खरमास शुरु हो जाता है, दक्षिणायन का आखिरी महीना ही खरमास होता है, मकर संक्रांति से देवताओं का दिन शुरु हो जाता है, इसी दिन खरमास समाप्त हो जाता है।
शुभ कार्य वर्जित
शुभ कार्य इस काल में वर्जित कहे जाते हैं, क्योंकि धनु वृहस्पति की आग्नेय राशि है, इसमें सूर्य का प्रवेश विचित्र, अप्रिय तथा अप्रत्याशित परिणाम का सबब बनता है, मनुष्य ही नहीं हर प्राणी की आंतरिक स्थिरता नष्ट होती है, तथा चंचलता घेर लेती है, अंतर्मन में नकारात्मकता प्रवेश करने लगती है, दैहिक तथा मानसिक विकार खर-पतवार की तरह परवान चढने लगते हैं।
खरमास
मार्गशीर्ष को अर्कग्रहण भी कहते हैं, इस दौरान सूर्य की रश्मियां दुर्बल होकर शक्तिहीन हो जाती है, तथा कई प्रकार के झमेलों का सूत्रपात करती है। मार्गशीर्ष महीना स्वयं में बेहद विशिष्ट है, ये माह आंतरिक कौशल तथा बौद्धिक चातुर्य से शीर्ष पर पहुंचने का मार्ग प्रकट करता है, मार्गशीर्ष तथा पौष का संधिकाल खरमास के आगोश में बीतता है।
अमांगलिक फल देते हैं मांगलिक कार्य
धनु राशि की यात्रा तथा पौष मास के संयोग से देवगुरु के स्वाभाव में अजीव सी उग्रता की वजह से ये महीना नकारात्मक कर्मों को प्रोत्साहित करता है, इसलिये इसे कहीं-कहीं दुष्ट माह भी कहा जाता है, वृहस्पति के आचरण में उग्रता, अस्थिरता, क्रूरता तथा निकृष्टता के कारण इस मास के मध्य शादी-विवाह, गृह-निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे मांगलिक कार्य अमांगलिक सिद्ध हो सकते हैं, इसलिये शास्त्रों ने इस माह में इनका निषेध किया है।
(डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारियां तथा सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित है, इंफो यू निड इनकी पुष्टि नहीं करता है, इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)