बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है, पढाई के बाद वह साल 1974 से 1977 तक चले जेपी आंदोलन से जुड़ गये।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ऐलान किया है कि ये उनका आखिरी चुनाव है, इसके बाद वो सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे, उन्होने जनता से अपील की है, कि क्या आखिरी बार उन्हें मौका नहीं दिया जाएगा, करीब 70 साल के हो चुके नीतीश अब तक 6 बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं, हालांकि 29 की उम्र में ही वो राजनीति से संन्यास लेने वाले थे।
इंजीनियरिंग की पढाई
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है, पढाई के बाद वह साल 1974 से 1977 तक चले जेपी आंदोलन से जुड़ गये, नीतीश ने 26 साल की उम्र में पहली बार 1977 विधानसभा चुनाव में हरनौत सीट से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, हालांकि तब उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।
लगातार दो हार
साल 1980 में एक बार फिर से सुशासन बाबू हरनौत सीट से जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार भी जीत नहीं सके, लगातार दो हार ने नीतीश कुमार को निराश कर दिया था, उन्होने राजनीति छोड़ने का मूड बना लिया था, वह राजनीति छोड़ ठेकेदारी करना चाहते थे। दरअसल तब नीतीश तीस साल के हो चुके थे, पढाई पूरी किये सात साल बीत चुके थे, उनकी शादी भी हो चुकी थी, इसलिये घर-परिवार की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर थी।
कमाई का जरिया ढूंढ रहे थे
शादी के इतने सालों बाद भी वह कमाई का कोई जरिया नहीं बना पाये थे, इन सबसे तंग आकर नीतीश कुमार ने राजनीति छोड़कर एक सरकारी ठेकेदार बनने की जुगत शुरु कर दी, वो कहते थे, कुछ तो करें, ऐसे जीवन कैसे चलेगा। हालांकि नीतीश के किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था, साल 1985 में तीसरी बार वो हरनौत सीट से लोकदल के टिकट पर 21 हजार वोटों से जीते, इसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, वो लोकसभा तक भी पहुंचे, वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रहे, 6 बार सीएम रह चुके नीतीश ने जनता से अपील करते हुए कहा है कि अंत भला तो सब भला, ये उनका आखिरी चुनाव है, इसके बाद राजनीति से संन्यास ले लेंगे, उन्होने जनता से आखिरी बार समर्थन की अपील की है।
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